Ghaziabad बैठक में मंगलवार को जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। प्रस्ताव में तीन नामों का सुझाव दिया गया है: हरनंदी नगर, गजप्रस्थ और दूधेश्वरनाथ नगर। महापौर सुनीता दयाल ने कहा कि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लेंगे।
प्रस्ताव पारित होते ही सदन में उत्साह की लहर दौड़ गई। पार्षदों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। महापौर दयाल ने कहा कि जल्द ही प्रस्ताव को शासन को भेज दिया जाएगा।
नाम बदलने का प्रस्ताव कई दिनों से चर्चा में था। हिंदू संगठनों की मांग थी कि जिले का नाम बदलकर हिंदू संस्कृति से जुड़ा नाम दिया जाए।
Ghaziabad का नाम अब बदलने जा रहा है। मंगलवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को सदन की मंजूरी मिल गई। अब यह प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।
लगभग 284 साल से मुगल शासन के वजीर गाजीउद्दीन की याद दिलाने वाले इस जिले का नाम अब बदलने जा रहा है। इस प्रस्ताव को लेकर कई दिनों से चर्चा हो रही थी। आखिरकार, मंगलवार को सदन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
जिले का नाम क्या होगा, यह अभी तय नहीं किया गया है। हालांकि, निगम की ओर से शासन में यह पैरवी की जाएगी कि जिले का नया नाम Ghaziabad के इतिहास के आधार पर रखा जाए।
Ghaziabad 1976 में मेरठ से अलग हुआ था
Ghaziabad शहर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। सन 1740 में मुगल शासन के वजीर गाजीउद्दीन ने इस शहर की स्थापना की थी। उन्होंने इसे अपने नाम पर “गाजीउद्दीन नगर” नाम दिया। बाद में, नाम छोटा कर इसे “Ghaziabad” कर दिया गया।
14 नवंबर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने Ghaziabad को मेरठ से अलग कर जिला घोषित किया। लेकिन, उन्होंने शहर का नाम नहीं बदला।
Ghaziabad नाम बदलने का प्रस्ताव निगम से पास
दूधेश्वर नगर नाम का प्रस्ताव। इस मांग को लेकर कई बार चर्चा हुई। मंगलवार को, नगर निगम में वार्ड संख्या-100 के पार्षद संजय सिंह ने दूधेश्वर नगर नाम का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि यह नाम शहर की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाता है। पार्षदों ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से मंजूरी दे दी। अब, यह प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा। शासन इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लेगा।
शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव
गाजियाबाद नगर निगम की बोर्ड बैठक में मंगलवार को जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। प्रस्ताव में तीन नामों का सुझाव दिया गया है: हरनंदी नगर, गजप्रस्थ और दूधेश्वरनाथ नगर।
प्रस्ताव को लेकर सदन में चर्चा शुरू हुई तो ज्यादातर पार्षद इसके पक्ष में रहे। कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि यह प्रस्ताव स्वयं महापौर की ओर से आना चाहिए। इस पर महापौर सुनीता दयाल ने सदन के सामने अपनी ओर से गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव पेश किया।
महापौर ने कहा कि जिले का नाम बदलने का निर्णय शासन को लेना है, नया नाम भी शासन ही तय करे। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव शहर की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को संजोने के लिए है।
प्रस्ताव को पार्षदों ने बहुमत से मंजूरी दे दी। प्रस्ताव पास होते ही सदन में भारत माता की जय के नारे लगाए गए। महापौर सुनीता दयाल ने बताया कि जल्द ही इस प्रस्ताव को शासन को भेज दिया जाएगा।
इस प्रस्ताव के पारित होने पर शहर में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह निर्णय दिखाता है कि शहर के लोग अपनी संस्कृति और विरासत को संजोने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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